हिंदी के 100 बड़े वर्तमान रचनाकारों में शामिल नाम अपनी मौजूदा पायदान से फिसल कर नीचे भी जा सकते हैं यदि-
१. कोई और साहित्यकार अपने सरोकारों, सृजन और लोकप्रियता के चलते उनसे आगे निकल जाता है।
२. उनके पाठक उनकी सृजनधर्मिता के कायल होना छोड़ देते हैं।
३. उनके शब्द-मेले के डेरे-तम्बू उनकी रचनासामर्थ्य के रहते उखड़ने लगते हैं, और यह बात समीक्षकों, पाठकों व संपादकों के सर चढ़ कर बोलने लगती है।
१. कोई और साहित्यकार अपने सरोकारों, सृजन और लोकप्रियता के चलते उनसे आगे निकल जाता है।
२. उनके पाठक उनकी सृजनधर्मिता के कायल होना छोड़ देते हैं।
३. उनके शब्द-मेले के डेरे-तम्बू उनकी रचनासामर्थ्य के रहते उखड़ने लगते हैं, और यह बात समीक्षकों, पाठकों व संपादकों के सर चढ़ कर बोलने लगती है।
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